एक पीढ़
इक पीडा सी उठी
तुझे याद करके
क्या यह ख़ुशी मे बदल दोगे
इक ख्वाब सा जैसा अधुरा
तुम्हे याद करके
क्या पूरा कर दोगे ख्वाब मेरा
इक अनचाही सी प्यास है
तुम्हे पाने की
क्या पूरी कर दोगे तुम आस मेरी
इक चाहत है तुम्हे पाने की
कही फिर न जन्म लेना पड जाए
क्या कर दोगे पूर्ण मेरी चाहत