एक पिता का साया
महसुस किया,बिन कहे, अपना धर्म निभाया हैं
मेरी परछाईं संग छुपा, एक पिता का साया हैं
जब नौ महीने, माँ के गर्भ में, हलचल होती रही
मस्तिष्क को तब पिता के,भविष्य मेरा ही भाया हैं
वो हरदम चुप रहते, कुछ न किसी से कहते
उनके मनन चिंतन में,ख्याल मेरा ही समाया हैं