एक पल
यादों से निकला एक पल
दे गया दस्तक
लिए मीठी कड़वी बातें
मन के कोने में एक बच्ची बैठी है।
अथाह मन के समंदर में
हिलोरे लेता है विचार- जल
लोगों की घुमावदार बातें
यकायक नहीं समझ में आती
एक पल को
रिश्तों के बाज़ार में
बंट गई हैं सारी गर्मजोशियाँ
रह गए है केवल सूने पल
अपने बदल गए हैं पूरी तरह
आस- पास केवल और केवल
झूठ बिखरा पड़ा है।
ज़िंदगानी तरस गई एक सच को
बस और बस रह गया
एक झूठ में पगा पल
मीरा ठाकुर