एक पल में जब हटेगी छाया
खून पसीना खूब बहाया,
अपने घमंड में खूब कमाया,
दे सका कोई दान रे!
क्या पायेगा उद्धार रे ?
तेरी है नियत खोटी जग में,
खोटा अगर इंसान है,
एक दिन नइया डूब जाएगी,
बचा ना सकेगा प्राण रे!
जिसके बल से तु है बैठा,
जिसके राज काज से ऐंठा,
एक पल में जब हटेगी छाया,
ध्वस्थ होगी तेरे झूठी माया।
रग रग में वही है बसता,
जाने हर के मन की रास्ता,
एक दिन ऐसा आएगा,
झूठ सत्य दिख जाएगा।
छोड़ आडम्बर सेवा अब कर ले,
उस दाता का सुमिरन भज ले,
वही तेरा हरी नाम हो,
करे तेरा कल्याण हो।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।