एक पनिहारिन की वेदना
सुन सखा,मेरे कृष्ण कन्हैया,
पूछ रही है मेरी सभी सखियां।
कैसे फूटी तेरी जल की गगरिया,
क्यो भीगी तेरी लाल चुनररिया।
कर रही है सभी सखि ठिठोली,
इन सबके पीछे क्या है पहेली।
मै उनका उत्तर कैसे दे पाऊं,
शर्म लाज में मैं भर भर जाऊं।।
पूछ रही है एक एक बतिया,
कैसे बताऊं मैं सारी बतिया।
समझ में मेरी कछु न आवे,
कोई कैसे उन्हे अब समझावे।।
एक सखि ने यहां तक पूछ डाला,
कैसे हो गई तेरी गीली घघरिया।
तू यमुना में कही जाके गिरी थी,
या यमुना तो पर आके गिरी थी।
उनके प्रश्नों को उत्तर मैने दे डाला,
उनके मुंह को ऐसे बन्द कर डाला
कृष्ण कन्हाई ने मारी थी कंकरिया
फूट गई थी तभी मेरी ये गगरिया।
फूटी गागरिया तो गीली हुई घघरिया,
ये नटखट है मेरा कृष्ण सावरियां।
याकि शिकायत करूंगी मै मैया से
तभी लेगी मैया इसकी खबररिया।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम