एक पत्नि की मन की भावना
मेरे प्राणों से तुम प्यारे हो,
मेरी आंखो के तुम तारे हो।
अलग नहीं हो सकती तुमसे,
मेरे जीवन के तुम रखवाले हो।।
तुम राम व कृष्ण मेरे हो,
मै सीता व राधा हूं तेरी।
हर बार नया जन्म लेगे दोनों,
मै मुरली बनू अधरो के तेरी।।
मेरे उपवन के तुम भवरे हो,
मै फूलों की खुशबू हूं तेरी।
जब उपवन आओगे तुम मेरे,
मै प्रतीक्षा करूंगी वहां तेरी।।
मेरे दिल की तुम धड़कन हो,
मै स्वासो की सांसे हूं तेरी।
मेरे दिल में बस जाओ तुम,
मै सहचरी हू जीवन की तेरी।।
तुम सूरज व चन्दा हो मेरे,
मै किरण व चांदनी हूं तेरी।
करेगें सफर गगन में दोनों,
चाहे दिन हो या रात अंधेरी।।
तुम वर्षा ऋतु के बादल हो मेरे,
मै चमकती बिजली हूं तेरी।
जब घोर घटाएं घिर जाए तो,
तब प्यास बुझाना तुम मेरी।।
तुम दीपक व बाती मेरे हो,
मै ज्योति पुंज हूं अब तेरी।
मेरे मन मंदिर में आ जाओ,
मै आरती करूंगी सदा तेरी।।
तुम गीत हो मेरी महफ़िल के,
मै संगीत हूं तेरी महफ़िल की।
जब महफ़िल जमेगी दोनों की
श्रोता करेंगे प्रशसा मेरी तेरी।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम