एक निवेदन
माँ नर्मदा का जल, मल इसमें ना मिलाओ मानव,
दानव जैसा कृत्य, माँ को क्रुद्ध कर सकता है |
पावन है नीर, पीर इसकी ना समझी तो,
जीवन की राहे अवरुद्ध कर सकता है |
सुन्दर है घाट, ठाठ इसके देवलोक जैसे,
प्यार से जो देखो मन को शुद्ध कर सकता है |
माता का यह प्यार, उपहार धरा-धाम पर,
इसको सहेजो, जीवन बुद्ध कर सकता है |