“एक निवेदन”
“जयचंदो की साजिश से भारत को बचा लो मोदी जी,
घोटालों के दलदल से ये देश निकालो मोदी जी,
बँटवारे की ज्वाला में जिसने देश धकेल दिया,
खेलो में भी जिसने केवल घोटालों का खेल किया,
दीमक-सा चिपक गये थे,देश की जड़ को चाट रहे थे ,
प्रेमभाव की शाखा को माली बन कर काट रहे थे,
घायल सोने की चिड़िया चीत्कार लगाए मोदी जी,
दम घूँटता था मेरा अब वो जाल ना आए मोदी जी,
लोकतंत्र की हत्या का वो काल ना आए मोदी जी,
झुंड बनाकर के अपनी औकात दिखाते हैं,
आरोपों की बारिश से हर बात बताते हैं,
अपनी भाषणबाज़ी से दहशत फैलाते हैं,
टोपी,तिलक,जटाधारी सब कुछ बन जाते हैं,
ढोंगी हैं चेहरे से इनके नक़ाब हटाओ मोदी जी,
गीदड़ों की टोली आई,बन शेर भगाओ मोदी जी,
माँ की गोद में बैठे जो आँचल में दाग लगाते हैं,
भारत माँ के जयकारे सुनने से कतराते हैं,
लाल नही ये इस धरती के इन्हें निकालो मोदी जी,
जिन्हें वतन से प्रेम नहीं बाहर कर डालो मोदी जी,
छप्पन इंच के सीने की ताकत दिखलाओ मोदी जी,
नोटबंदी के फैसले सा कोई कदम उठाओ मोदी जी,
गद्दारो की आँखों से फिर नींद उड़ा दो मोदी जी,
इनके नोटों की गड्डी पर धूल चढ़ा दो मोदी जी,
नम्र निवेदन है मेरा, धरती का सिंगार बचे ,
जीवित रह पायें किसान, इनका भी घर-द्वार बचे,
शान किसान हैं भारत के भूखे पेट ना मर जायें,
कर्ज़ के बोझ से दबते-दबते,सब शूली ना चढ़ जायें,
अन्नदाता हैं कृषक हमारे इन्हें संभालो मोदी जी,
अन्नपूर्णा मैया की अब तुम लाज बचा लो मोदी जी,
खेती-बाड़ी का भारत में काज बचा लो मोदी जी,
लहराती फ़सलों की फिर तस्वीर बना दो मोदी जी,
जय किसान के नारे की तकदीर बना दो मोदी जी,
राजनीति में नही कोई इतवार बता दो मोदी जी,
जनसेवक का होता है क्या फ़र्ज़ सीखा दो मोदी जी,
भारत माँ की सेवा का अंदाज़ दिखा दो मोदी जी,
देश प्रेम की धारा को घर-घर पहुँचाओ मोदी जी,
बहुमत की सरकार लिए फिर से आओ मोदी जी “