एक नारी की भावना नव वर्ष पर
एक नारी की भावना नव वर्ष पर
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दे दो भक्ति प्रभु,मीरा की तरह जीने की,
दे दो शक्ति मुझे,विष का प्याला पीने की।
मांगती नही और कुछ प्रभु तुमसे मै अब,
इच्छा रही नही है,अब और मुझे जीने की।।
ये मेरे मन के उदगार है,प्रभु स्वीकार कीजिए,
गाऊं तुम्हारे गीत सदा,कोई चमत्कार कीजिए।
मिट जाए जन्म जन्म के बंधन मेरे जीवन से,
मीरा समझकर अपने चरणों में शरण दीजिए।।
तुम मेरे कृष्ण भी हो सीता के राम भी हो,
मै तुम्हारी मीरा हूं,तुम मेरे श्याम भी हो।
बंशी बजा दो अब अपने अधरों पर रखकर,
सुन सकूं मैं उसको कभी इसमें विराम न हो।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम