एक नया विचार
मित्रों एक नया विचार आपको सौंप रहा हूँ :-
**********************************
खाली हाथ आये थे
जायेंगे भी खाली हाथ
सोचो इसे तो
परम सत्य है ये बात।
पर मेरा ये
विश्वास है अटूट
कि ये बात भी
है बिलकुल झूठ।
ना खाली हाथ
आते है हम
ना खाली हाथ
जाते है हम।
सोचो जब हम
इस दुनिया में आये
तो कहाँ हम
कोई हाथ लाये ।
ये हाथ ये शरीर
और ये आकार
ये इस दुनिया से ही
तो लिया है उधार।
ये मिटटी ये हवा
ये आग ये पानी
इसमें कुछ भी
नही है आसमानी।
ये सब तो मिला
है यहाँ संसार में
जिससे बना है शरीर
सब है उधार में ।
और जब यहाँ से
सब जायेंगे
वो उधार का हिस्सा
वापस दे जायेंगे।
हम तो आये थे
अमूर्त रूप में
और जायेंगे भी
उसी अमूर्त रूप में ।
और साथ ले जायेंगे
अपने कर्म केवल
और छोड़ जायेंगे
उनकी गंध केवल।
************************
सप्रेम -शैलेन्द्र
लखनऊ