Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

एक नया वादा

३)
एक नया वादा

अभिनन्दन नूतन वर्ष तुम्हें
शत शत नमन प्रिय जन तुम्हें
नये साल पर कुछ
अलग करने का है रिवाज
तो क्या मानोगे तुम सब
मेरा नया अंदाज़
कुछ छोड़ना होगा
तो कुछ अपनाना होगा
कचरा कूड़े दान में डालोगे
पानी को सहेजोगे, सँभालोगे
तोहफ़े में बस पौधे दोगे
पेड़ काटना छोड़ोगे
छोड़ो जानवर को सताना
मूक जानवर को तड़पाना
अनाथों की रक्षा करोगे
पक्षी को दाना-पानी दोगे
माँ से बढ़कर कोई न दूजा
माँ ही काबा- काशी पूजा
नदियों को माँ सम मानोगे
बूँद-बूँद से घट भरता है
यह सबको सिखलाओगे
छोड़ो पीओपी की मूर्ति
माटी की मूर्ति पूजोगे
घर के बागीचे में ही
उसे विसर्जित करवाओगे
इस साल चलो कुछ
अच्छा करते हैं
कुछ नया करते हैं
अपने लिए तो हर दम किया
अब कुदरत के लिए करते हैं

स्वरचित और मौलिक
उषा गुप्ता, इंदौर

2 Likes · 47 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Usha Gupta
View all
You may also like:
चुप
चुप
Ajay Mishra
पर्यावरण में मचती ये हलचल
पर्यावरण में मचती ये हलचल
Buddha Prakash
"कलम का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा बिषय- महान
दोहा बिषय- महान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चिंगारी बन लड़ा नहीं जो
चिंगारी बन लड़ा नहीं जो
AJAY AMITABH SUMAN
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है उसको दूसरा कोई कि
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है उसको दूसरा कोई कि
Rj Anand Prajapati
प्रेम
प्रेम
Pratibha Pandey
जन्मदिन का तोहफा**
जन्मदिन का तोहफा**
Bindesh kumar jha
मुक्ति
मुक्ति
Amrita Shukla
मु
मु
*प्रणय प्रभात*
"We are a generation where alcohol is turned into cold drink
पूर्वार्थ
Colours of Life!
Colours of Life!
R. H. SRIDEVI
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
डॉ.सीमा अग्रवाल
उमंग
उमंग
Akash Yadav
आसमान तक पहुंचे हो धरती पर हो पांव
आसमान तक पहुंचे हो धरती पर हो पांव
नूरफातिमा खातून नूरी
परतंत्रता की नारी
परतंत्रता की नारी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
शेखर सिंह
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
DrLakshman Jha Parimal
जीवन में आनंद लाना कोई कठिन काम नहीं है बस जागरूकता को जीवन
जीवन में आनंद लाना कोई कठिन काम नहीं है बस जागरूकता को जीवन
Ravikesh Jha
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
Atul "Krishn"
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
Lokesh Sharma
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
Ravi Prakash
सूरज बहुत चढ़ आया हैं।
सूरज बहुत चढ़ आया हैं।
Ashwini sharma
होली के रंग
होली के रंग
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
ज़िंदगी आईने के
ज़िंदगी आईने के
Dr fauzia Naseem shad
उस दिन
उस दिन
Shweta Soni
4665.*पूर्णिका*
4665.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अंतरात्मा की आवाज
अंतरात्मा की आवाज
SURYA PRAKASH SHARMA
हुई बात तो बात से,
हुई बात तो बात से,
sushil sarna
कौन सुनेगा बात हमारी
कौन सुनेगा बात हमारी
Surinder blackpen
Loading...