Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2021 · 1 min read

एक नया गीत लिखता हूं

प्रेम दो आत्माओं का मिलन है और संगीत आत्मा का परमात्मा से मिलन। इन दोनों को मिला कर प्रेम रस से परिपूर्ण ये गीत।

आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
दो आत्माओं के मिलन का संगीत लिखता हूं।।

पहली बार जो तुम्हें देखा तो तुम सितार सी लगी,
मेरे हृदय की वीणा के तार सी लगी।
दूसरी बार जो तुम्हें देखा तो देखता रह गया,
कभी उषा की पहली किरण, कभी खिलता गुलाब तो कभी संगीत के झंकार सी लगी।
तुम्हारे आगमन से मेरे हृदय में उठा प्रीत लिखता हूं,
आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
दो आत्माओं के मिलन का संगीत लिखता हूं।।

जब भी तुम्हें देखा मैं खोता चला गया,
जितना तुम्हें जाना, तुम्हारा होता चला गया।
कभी सुबह – ए – बनारस, कभी मौसम – ए – सावन सी लगी,
कभी सरगम तो कभी गंगा – यमुना के संगम सी लगी।
तुम्हारे हमारे मिलन की मैं नई रीति लिखता हूँ,
आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
दो आत्माओं के मिलन का संगीत लिखता हूं।।

© बदनाम बनारसी
बनारस

24 Likes · 63 Comments · 1125 Views

You may also like these posts

#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
उस रात रंगीन सितारों ने घेर लिया था मुझे,
उस रात रंगीन सितारों ने घेर लिया था मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दो शब्द सही
दो शब्द सही
Dr fauzia Naseem shad
एक कंजूस व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में आदर्श स्थापित नही कर स
एक कंजूस व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में आदर्श स्थापित नही कर स
Rj Anand Prajapati
"जिंदगी"
Yogendra Chaturwedi
ऐसा कभी क्या किया है किसी ने
ऐसा कभी क्या किया है किसी ने
gurudeenverma198
मानवता
मानवता
लक्ष्मी सिंह
मैने कब कहां ?
मैने कब कहां ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
गॉड दैट फेल्ड
गॉड दैट फेल्ड
Shekhar Chandra Mitra
प्रेम पीड़ा
प्रेम पीड़ा
Shivkumar barman
मैं सूरज दूर बहुत दूर
मैं सूरज दूर बहुत दूर
Lekh Raj Chauhan
तेरी यादों के आईने को
तेरी यादों के आईने को
Atul "Krishn"
तेवरी’ का शिल्प ग़ज़ल का है ‘ + देवकीनन्दन ‘शांत’
तेवरी’ का शिल्प ग़ज़ल का है ‘ + देवकीनन्दन ‘शांत’
कवि रमेशराज
बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
Dr Archana Gupta
ऐ पत्नी !
ऐ पत्नी !
भूरचन्द जयपाल
*आया अद्भुत चंद्रमा, शरद पूर्णिमा साथ【कुंडलिया】*
*आया अद्भुत चंद्रमा, शरद पूर्णिमा साथ【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
Manju sagar
*दिव्य दृष्टि*
*दिव्य दृष्टि*
Rambali Mishra
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मेरा लड्डू गोपाल
मेरा लड्डू गोपाल
MEENU SHARMA
आजाद है सभी इस जहांँ में ,
आजाद है सभी इस जहांँ में ,
Yogendra Chaturvedi
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अगर कोई छोड़ कर चले
अगर कोई छोड़ कर चले
पूर्वार्थ
मुझ में ठहरा हुआ दर्द का समंदर है
मुझ में ठहरा हुआ दर्द का समंदर है
Jyoti Roshni
हम सब की है यही अभिलाषा
हम सब की है यही अभिलाषा
गुमनाम 'बाबा'
पदावली
पदावली
seema sharma
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
Sanjay ' शून्य'
दीपावली का पर्व
दीपावली का पर्व
Sudhir srivastava
कैसे निभाऍं उस से, कैसे करें गुज़ारा।
कैसे निभाऍं उस से, कैसे करें गुज़ारा।
सत्य कुमार प्रेमी
अभिलाषा
अभिलाषा
indu parashar
Loading...