एक दृष्टि
आओ मन के दिये जलाते
धूप बत्ती का पैसा बचाते
उन पैसों का
महल बना के
बेघरों को
घर दिलाते
उनको घरों में खुशियां
लाते;
क्योंकि जिस नर में
नरत्व है
उस घर में ही
देवत्व है;
और यही बंधुत्व है ।
आओ मन के दिये जलाते
धूप बत्ती का पैसा बचाते
उन पैसों का
महल बना के
बेघरों को
घर दिलाते
उनको घरों में खुशियां
लाते;
क्योंकि जिस नर में
नरत्व है
उस घर में ही
देवत्व है;
और यही बंधुत्व है ।