एक दूजे के लिए हम ही सहारे हैं।
ग़ज़ल
हर्फे क्वाफी- आरे
रद़ीफ- हैं
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फा
2122…….2122…….2122…..2
एक दूजे के लिए हम ही सहारे हैं।
हम ही दरिया हम समंदर हम किनारे हैं।
आपके जाने से ही मौसम खिज़ा आया,
आपके बिन किस तरह से दिन गुजारे हैं।
छोड़ कर गैरों का दामन आपका थामा,
गर्दिशों में तब से ही अपने सितारे हैं।
राम राजा होंगे इक दिन अपनी नगरी के,
सब अभी रावण के ही जुल्मों के मारे हैं।
चांद सूरज की तमन्ना क्या करें तुमसे,
तुमने सबको ही दिखाए दिन में तारे हैं।
ये तो झंझावात हैं खतरे बहुत आगे,
इक बड़ा तूफान होगा ये इशारे हैं।
करके उल्फत मैंने तुमसे इक सजा पाई,
इश्क करके तुमसे ‘प्रेमी’ रोए सारे हैं।
……✍️ सत्य कुमार ‘प्रेमी’