एक दिवा रोएगी दुनिया
जिंदगी तो विघ्नों से
सतत होती भरी पड़ी
जिंदगानी जब तलक
द्वंद्व भी है तब तलक
एक दिन जब ये हयात
बिछड़ेगी ही तनु से
एक दिवा रोएगी दुनिया
ऐसा कृत्य करेंगे हम…
निर्धन पर मैं कर दया
उन्मुक्त उसे बनाऊंगा
जिंदगानी को जीना
उसे मैं सिखलाऊंगा
नृशंस, दुराचारी को हम
दुनिया से मिटाऊंगा
एक दिवस हम खो जाएंगे
भव – सी इस भुवन में
एक दिवा रोएगी दुनिया
ऐसा कृत्य करेंगे हम…
जिंदगी में कुछ सरसता
कुछ उग्रता रहती ही है
इस की कटुता को हम
बदल देंगे ही माधुर्य में
हयात से जाने से पहले
दुनिया को कुछ दे जाएंगे
एक दिवा रोएगी दुनिया
ऐसा कृत्य करेंगे हम…
लेखक:- अमरेश कुमार वर्मा