*एक दिवस सब्जी मंडी में (बाल कविता)
एक दिवस सब्जी मंडी में (बाल कविता)
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एक दिवस सब्जी मंडी में
जमकर छिड़ी लड़ाई,
आलू करने लगा जोर से
अपनी आप बड़ाई।
बोला मैं हरफनमौला हूँ
सब्जी मिक्स बनाता,
मेरे बिना न खाना कोई
कैसा भी बन पाता।
मुरझा गए बात को सुनकर
भिंडी और करेला ,
लौकी बैंगन लगे देखने
दाँए बाँए ठेला।
तब कद्दू ने आकर
सबका ही उत्साह बढ़ाया,
उठा हाथ से आलू को
ऊपर की तरफ चढ़ाया ।
बोला ज्यादा आलू राजा
जी घमंड मत करना,
तुम हो डायबिटीज बढ़ाते
करनी से कुछ डरना ।
खुद तो मोटे आलू हो
सबको मोटा करते हो,
जो तुमको ज्यादा खाता
सब सुंदरता हरते हो।
सुनकर कद्दू की लताड़
आलू भागा बेचारा ,
बोला लौकी और करेला
तुम जीतीं मैं हारा।।
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451