एक दिल मिला जागा सा एक जुवां मिली सोई सी
एक दिल मिला जागा सा एक जुवां मिली सोई सी
मुझे जिंदगी मिली खोई सी,क्यों ज़िंदगी मिली खोई सी,
बस चार दिन को ही सही पर हमसफ़र हैं वो,
चार दिन के नाम पर क्यों आँख रोई सी,
मुझे जिंदगी मिली खोई सी,क्यों ज़िंदगी मिली खोई सी,
प्रेम का वो है पुजारी बात है पुख्ता,
फिर प्रेम मूरत क्यों नहीं दिल में संजोई सी
मुझे जिंदगी मिली खोई सी,क्यों ज़िंदगी मिली खोई सी,
साजे दिल पे बज रहे हैं सैकड़ो नगमे,
फिर क्यों जुवां पे सुर नहीं और ताल कोई सी
मुझे जिंदगी मिली खोई सी,क्यों ज़िंदगी मिली खोई सी,
ठीक है तुमको नहीं है प्रीत की पीड़ा,
फिर अश्रुओं से ओढ़नी क्यों है भिगोई सी
मुझे जिंदगी मिली खोई सी,क्यों ज़िंदगी मिली खोई सी,