एक दिन सूखे पत्तों की मानिंद
एक दिन सूखे पत्तों की मानिंद
हम बिखरेंगे झड़ जाएँगे
धूल उड़ाते बच्चों के
पैरों से रौंदे जाएँगे
या किसी कॉपी के पन्नों
बीच संभाले जाएँगे
लेकिन उससे पहले जब तक
हरे हैं हम लहराएँगे
तितलियों संग खेलेंगे
ख़ुशबू में नहाएँगे
बिन मौसम बरसातों में
भीगेंगे खिल जाएँगे
हाँ एक दिन सूखे पत्तों से
हम बिखरेंगे झड़ जाएँगे
लेकिन उससे पहले जब तक
हरे हैं हम लहराएँगे