Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jul 2024 · 1 min read

एक दिन सब ही खाते थे आम आदमी।

ग़ज़ल

212/212/212/212
एक दिन सब ही खाते थे आम आदमी।
दे न पाएगा अब इसका दाम आदमी।

खो रहा धीरे धीरे ये पहचान भी,
देख तस्वीर सोचेगा नाम आदमी।2

इक तरफ भूख है प्यास है दर्द है,
इक तरफ पी रहा रोज जाम आदमी।3

डूबते को सहारा तो ईश्वर का है,
उगते सूरज को करता सलाम आदमी।4

‘प्रेमी’ जीवन में सबसे मिलो प्यार से,
यूं तो जीते रहेंगे तमाम आदमी।5

……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

64 Views
Books from सत्य कुमार प्रेमी
View all

You may also like these posts

जय श्री राम
जय श्री राम
goutam shaw
"गांव से दूर"
राकेश चौरसिया
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
Shweta Soni
इश्क की राहों में मिलते हैं,
इश्क की राहों में मिलते हैं,
हिमांशु Kulshrestha
गीत- अँधेरे तो परीक्षा के लिए...
गीत- अँधेरे तो परीक्षा के लिए...
आर.एस. 'प्रीतम'
आदि विद्रोही-स्पार्टकस
आदि विद्रोही-स्पार्टकस
Shekhar Chandra Mitra
सृजन तेरी कवितायें
सृजन तेरी कवितायें
Satish Srijan
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Anil chobisa
मौलिकता
मौलिकता
Nitin Kulkarni
आपके स्वभाव की
आपके स्वभाव की
Dr fauzia Naseem shad
बहुत बरस गुज़रने के बाद
बहुत बरस गुज़रने के बाद
शिव प्रताप लोधी
एक दिन बिना इंटरनेट के
एक दिन बिना इंटरनेट के
Neerja Sharma
तन्हा सी तितली।
तन्हा सी तितली।
Faiza Tasleem
गुरुकुल
गुरुकुल
Dr. Vaishali Verma
तड़ाग के मुँह पर......समंदर की बात
तड़ाग के मुँह पर......समंदर की बात
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चाहे गरदन उड़ा दें...
चाहे गरदन उड़ा दें...
अरशद रसूल बदायूंनी
4724.*पूर्णिका*
4724.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्वाभिमान सम्मान
स्वाभिमान सम्मान
RAMESH SHARMA
पापा की परी
पापा की परी
भगवती पारीक 'मनु'
"टूट कर बिखर जाउंगी"
रीतू सिंह
एतबार
एतबार
Davina Amar Thakral
शिक्षा हर मानव का गहना है।
शिक्षा हर मानव का गहना है।
Ajit Kumar "Karn"
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
महाकवि 'भास'
महाकवि 'भास'
Indu Singh
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
Rj Anand Prajapati
जज्बे से मिली जीत की राह....
जज्बे से मिली जीत की राह....
Nasib Sabharwal
pita
pita
Dr.Pratibha Prakash
सृजन स्वयं हो
सृजन स्वयं हो
Sanjay ' शून्य'
संवेदना
संवेदना
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
जगदीश शर्मा सहज
Loading...