“एक दिन मेरे क्लास में”
एक दिन मेरे क्लास में-
एक दिन आ बैठी इक तितली मेरे ही क्लास मेंI
देख लिया था मैने उसको पहले ही प्रयास मेंI
कुछ अलसुलझी सी कुछ घबरायी कुछ कहने वह आयी थीI
पर लगता था देख कर मुझको वह ज्यादा घबरायी थीI
उलझा था मै उस दिन शायद अभिवृध्दि और विकास मेंI
एक दिन आ बैठी एक तितली मेरे ही क्लास मेंI
थोड़ा रूक कर वह बोली सर क्या मै भी पूछू एक सवालI
मै भी सेवा करू देश की मेरे मन में है खयालI
लेकिन समझ नही आता लाऊ कैसे प्रयास मेंI
एक दिन आ बैठी एक तितली मेरे ही क्लास मेंI
मैने बोला ऐ तितली सेवा तो तुम करती होI
फूलों-फूलों कलियों-कलियों में परागण करती होI
सच्ची सेवा दिख जाती है बने फलों की मिठास मेंI
एक दिन आ बैठी एक तितली मेरे ही क्लास मेंI
Manish K singh
Assistant Professor(B.Ed.)
VBSP University Jaunpur
U.P.