एक था ब्लैक टाइगर रविन्द्र कौशिक
रवींद्र कौशिक को मिला, ब्लैक टाइगर नाम
जासूसी में हिन्द के, आए हरदम काम
ये दोहा भारत के सबसे महान जासूस की कहानी कहता है, आइये उनके जीवन में झांकें। रवीन्द्र कौशिक जी का जन्म 11 अप्रैल 1952 ई. को राजस्थान के श्री गंगानगर में हुआ था और मृत्यु नवम्बर 2001 ई. में सेंट्रल जेल मियांवाली, पंजाब, पाकिस्तान में हुई। रवीन्द्र जी भारतीय रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के ख़ुफ़िया जासूस थे। उन्हें भारत के जासूसों में सबसे बड़ा जासूस माना गया है। वह पाकिस्तानी सेना में मेजर रैंक पर कार्यरत थे। इस प्रकार सन 1979 ई. से 1983 ई. तक रविन्द्र जी ने रॉ के लिए जो बहुमूल्य जानकारी दीं। वे भारतीय रक्षा बलों के लिए बहुत मददगार साबित हुई। रवीन्द्र जी को भारत के उस वक्त के गृहमंत्री श्री एस.बी. चव्हाण द्वारा ‘ब्लैक टाइगर’ का खिताब दिया गया था। कुछ जानकार के अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उपाधि प्रदत्त किया गया था। रवींद्र जी के परिवार ने बताया की साल 2012 ई. में प्रदर्शित मशहूर बॉलीवुड फिल्म “एक था टाइगर” की शीर्षक लाइन रवींद्र के जीवन पर आधारित थी।
जासूस बनने से पहले रवीन्द्र कौशिक जी एक प्रसिद्ध थिएटर कलाकार थे। अनेक मंचों पर उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता का प्रदर्शन व लोहा मनवाया था। एक बार जब वह सन 1973 ई. में मात्र 21 वर्ष की आयु में लखनऊ के एक राष्ट्रीय स्तर नाटक सभा में अभिनय कर रहे थे तो भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के कुछ अधिकारियों की नज़र इन पर पड़ी। तुरंत कौशिक जी से सम्पर्क हुआ और उन्हें भारत के लिए पाकिस्तान में खुफिया एजेंट की नौकरी का प्रस्ताव दिया गया। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
पाकिस्तान भेजने से पूर्व रविन्द्र कौशिक जी को रॉ द्वारा दो साल के लिए दिल्ली में गहन प्रशिक्षण दिया गया था। उन्हें इसलाम की धार्मिक शिक्षा दी गयी और पाकिस्तान के बारे में, स्थलाकृति और अन्य विवरण के साथ बखूबी परिचित कराया गया। उर्दू भी अच्छे से पढ़ायी, रटाई और सिखाई गयी थी। इसके अलावा रविन्द्र जी पाकिस्तान के बड़े हिस्से में बोली जाने वाली पंजाबी भाषा में पहले ही अच्छी तरह से निपुण थे।
इस तरह 23 साल की युवा अवस्था में उन्हें जासूसी मिशन पर पाकिस्तान भेज दिया गया। उनको नया नाम नबी अहमद शाकिर दिया गया था। रविन्द्र जी ने कराची विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. पूरा किया। आगे जाकर वे रॉ की योजना के तहत पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए और एक कमीशन अधिकारी बन गए और बाद में एक मेजर के पद पर पदोन्नत किये गए। उन्होंने एक पाकिस्तानी लड़की अमानत से शादी कर ली थी, और एक पुत्र के पिता बन गए थे।
सितम्बर 1983 ई. में, भारतीय खुफिया एजेंसियों को ब्लैक टाइगर के साथ संपर्क रखने के लिए एक अन्य भारतीय जासूस इनायत मिश्रा को भेजा था। लेकिन उस जासूस को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने पकड़ लिया और रविंदर कौशिक की असली पहचान का पता चला गया।
कौशिक पर सियालकोट के एक पूछताछ केंद्र में दो साल तक भयंकर अत्याचार हुआ। उन्हें सजा-ए-मौत यानि फांसी (1985 ई.) की सजा सुनाई गई। किन्तु बाद में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया। उन्हें 16 साल तक सियालकोट, कोट लखपत और मियांवाली जेल सहित विभिन्न जेलों में रखा गया था। वहीं कौशिक को दमा और टीबी हो गया था। मियांवाली जेल में नवंबर 2001 ई. को निधन हो गया। उन्हें वहीं दफ़न किया गया। ईश्वर इस महान देशभक्त की आत्मा को शान्ति दे।
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(आलेख: विकिपीडिया व अन्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित खबरों के आधार पर।)