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18 Dec 2021 · 1 min read

एक तू ही ना मिली।

जाने किस देश को तुम हो चली गई|
इश्क़ मेरा ढूंढता है बस तुम्ही को हर घड़ी ||1||

वक्त कटता गया सब सही हो गया |
बस मेरी रूह को कोई भी खुशी ना मिली ||2||

कोशिशें तो बहुत हमने की हैं मगर |
सब मिला है मुझे बस एक तू ही ना मिली ||3||

सब हासिल किया है तुझे छोड़कर |
इसलिए हर घड़ी मुझे तेरी कमी सी खली ||4||

खो गया मैं वहां जिंदगी थी जहां |
तुझको एहसास है क्या वह तेरी दिल्लगी |5||

मानो ऐसा लगा वक्त थम सा गया |
भीड़ में जब मुझको तुम्हारी सूरत दिखी ||6||

देखता हूं जहां कुछ फिकर से वहां |
जिंदगी थी मुझको जिस जगह पर मिली ||7||

ऐसे ख्वाबों का सिलसिला ही गया |
कुछ भ्रम सा हुआ आंख जब भी खुली ||8||

जिस जगह पर गया वह वजह भी गई |
जिस वजह से मुझे कभी तुम थी मिली ||9||

ताज मोहम्मद
लखनऊ

3 Likes · 4 Comments · 493 Views
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