एक तू ही ना मिली।
जाने किस देश को तुम हो चली गई|
इश्क़ मेरा ढूंढता है बस तुम्ही को हर घड़ी ||1||
वक्त कटता गया सब सही हो गया |
बस मेरी रूह को कोई भी खुशी ना मिली ||2||
कोशिशें तो बहुत हमने की हैं मगर |
सब मिला है मुझे बस एक तू ही ना मिली ||3||
सब हासिल किया है तुझे छोड़कर |
इसलिए हर घड़ी मुझे तेरी कमी सी खली ||4||
खो गया मैं वहां जिंदगी थी जहां |
तुझको एहसास है क्या वह तेरी दिल्लगी |5||
मानो ऐसा लगा वक्त थम सा गया |
भीड़ में जब मुझको तुम्हारी सूरत दिखी ||6||
देखता हूं जहां कुछ फिकर से वहां |
जिंदगी थी मुझको जिस जगह पर मिली ||7||
ऐसे ख्वाबों का सिलसिला ही गया |
कुछ भ्रम सा हुआ आंख जब भी खुली ||8||
जिस जगह पर गया वह वजह भी गई |
जिस वजह से मुझे कभी तुम थी मिली ||9||
ताज मोहम्मद
लखनऊ