एक तूफान दिल में मचलने लगा
बह्र-मुतदारिक मुसम्मन सालिम
ग़ज़ल
एक तूफान दिल में मचलने लगा।
यूं लगा जैसे मौसम बदलने लगा।।
आपने प्यार से जो निहारा हमें।
ख़्वाब आँखों में फिर एक पलने लगा।।
आपके हाथ की ओट जो मिल गई।
ये दिया आँधियों में भी जलने लगा।।
आपके प्यार में आँच है इस कदर।
बर्फ़ सा ये बदन भी पिघलने लगा।।
हौसलों से बढ़ाये जो मैने कदम।
कारवां मेरे हमराह चलने लगा।।
रंज़ ओ ग़म दूर सारे “अनीश” अब हुए।
आपकी याद में दिल बहलने लगा।।
—अनीश शाह