एक ताज़ा कलाम _ नज़्म _ आएगा जो आएगा….
एक ताज़ा कलाम ,,,#नज़्म
उनवान __ आएगा जो आएगा…
दिनांक _ 03/06/2024,,,
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आएगा जो आएगा ,
कल को देखा जाएगा,
मेहनत कर खाते सारे जन ,
क्या आकर कोई खिलाएगा।🤣
रीढ़ की हड्डी टूट रही ,
परिवार बिखरते दिखते हैं ,
तार तार सब हुए हैं रिश्ते ,
मन बोझ से हिलते दिखते हैं ,
जो आएगा,वो खाएगा ,
जनता को नहीं खिलाएगा ।🤣
कोई कोई कह देता है ,
कोई चुपके रो देता है ,
सिसक सिसक कर सांस चले ,
शब्दों का ही बस वार चले ,
कब तक कोई सह पाएगा,
क्या सच में कोई खिलाएगा ।🤣
अपनी ढपली ,अपना राग ,
बेटा अब हो जा होशियार ,
ये दुनिया है बस कहती है ,
हर दिन पीड़ा ही सहती है ,
क्या “नील” कोई कुछ लाएगा,
क्या खुद से बचा खिलाएगा । 🤣
उम्मीद लगा ले रब से तू ,
दुनिया से कुछ न पाएगा ,
दिल टूटेगा , देह छूटेगी ,
केवल केवल पछताएगा,
खुद के बल हर दम खाएगा,
फिर तू औरों को खिलाएगा ।🥰
✍️नील रूहानी,,, 03/06/2024,,,
( नीलोफर खान)