एक तराजू सच्चाई का
एक तराजू सच्चाई का आओ समस्याओंं को तौला जाय,
एक पलड़े मेंं आरक्षण रखे,
एक पलड़े मेंं असहिष्णुता रखे,
मुद्दोंं को जाँँचे और परखे,
एक तराजू सच्चाई का आओ समस्याओंं को तौला जाय।
एक पलड़ा किसानोंं की आत्महत्या रखे,
एक पलड़ा सूखे की मार को रखे
कौन सा ज्यादा भारी है ये भी देखा जाय,
एक तराजू सच्चाई का आओ समस्याओंं को तौला जाय।
देखे जरा बाढ़ो का कितना हिस्सा रखे,
मँँहगाई के बोझ को कितना और सहे,
कौन सा ज्यादा भारी है ये भी देखा जाय,
एक तराजू सच्चाई का आओ समस्याओंं को तौला जाय।
राम मंंदिर को कितना और बढ़ाये,
आतंंकवाद को कितना और घटाये,
इनको भी तो सोचा और समझा जाय,
एक तराजू सच्चाई का आओ समस्याओंं को तौला जाय।
महिलाओंं की सुरक्षा किसके सिर डाले,
घोटालोंं को भी एक नजर तो परखे,
भारत कितना परिपक्व हुआ ये दुनिया को बतलाया जाय।
“स्वच्छ भारत” का नारा घर-घर गूँँज रहा ये देखे,
और, नोटबंंदी से निकला कितना काला धन देखे,
ये खुद भी हम समझे ओरो को भी समझाय,
एक तराजू सच्चाई का आओ समस्याओंं को तौला जाय।
#सरितासृृजना