Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2024 · 1 min read

एक तरफ मां के नाम पर,

एक तरफ मां के नाम पर,
पेड़ लगाया जाता है।
और उसे काटने के लिए,
पूरा प्रशासन लगाया जाता है।।
कैसे जंगल बचाएं ?

89 Views
Books from नेताम आर सी
View all

You may also like these posts

3054.*पूर्णिका*
3054.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अशोक वाटिका मे सीता संग हनुमान वार्ता भाषा
अशोक वाटिका मे सीता संग हनुमान वार्ता भाषा
Acharya Rama Nand Mandal
"तुम तो बस अब गरजो"
Ajit Kumar "Karn"
अभी दिल भरा नही
अभी दिल भरा नही
Ram Krishan Rastogi
दूरियां भी कभी कभी
दूरियां भी कभी कभी
Chitra Bisht
प्राण वायु
प्राण वायु
Kanchan verma
श्राद्ध पक्ष में सनातन संस्कृति का महत्व
श्राद्ध पक्ष में सनातन संस्कृति का महत्व
Sudhir srivastava
सूरज क्यों चमकता है ?
सूरज क्यों चमकता है ?
Nitesh Shah
"करने वाला था नहीं, कोई दुआ-सलाम।
*प्रणय*
*गलतफहमी*
*गलतफहमी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"चक्रव्यूह"
Dr. Kishan tandon kranti
चन्द्रघन्टा
चन्द्रघन्टा
surenderpal vaidya
*इमली (बाल कविता)*
*इमली (बाल कविता)*
Ravi Prakash
— मैं सैनिक हूँ —
— मैं सैनिक हूँ —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
"कोई कुछ तो बता दो"
इंदु वर्मा
देखे भी तो कैसे? (कविता)
देखे भी तो कैसे? (कविता)
Indu Singh
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि पर केंद्रित पुस्तकें....
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि पर केंद्रित पुस्तकें....
Dr. Narendra Valmiki
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
Kuldeep mishra (KD)
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
प्यास
प्यास
sushil sarna
मर्द की मोहब्बत औरत को हमेशा जवान रखती है जबकि मर्द से मिली
मर्द की मोहब्बत औरत को हमेशा जवान रखती है जबकि मर्द से मिली
इशरत हिदायत ख़ान
हास्य घनाक्षरी ( करवा चौथ)
हास्य घनाक्षरी ( करवा चौथ)
Suryakant Dwivedi
भइया
भइया
गौरव बाबा
#तुझसे बिछुड़ क्यों आया
#तुझसे बिछुड़ क्यों आया
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
आप आज शासक हैं
आप आज शासक हैं
DrLakshman Jha Parimal
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
Chaahat
तुझको मांग लेते हैँ
तुझको मांग लेते हैँ
Mamta Rani
कैसै कह दूं
कैसै कह दूं
Dr fauzia Naseem shad
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
Rajesh vyas
कोलाहल
कोलाहल
Bodhisatva kastooriya
Loading...