एक ठहरा ये जमाना
एक ठहरा ये जमाना
न चाहत न ठिकाना
बीत चला मेरा यहां
रहते कौन किसके जहां
मुकद्दर किसके शहंशाह है
बोले तो अशोक या चंद्रगुप्त
ये रण के कौन है सिकन्दर ?
चन्द्रहास का कौन धारक ?
बात चलीं पर कुर्सियां नहीं
बैठा कौन यहां भूपाल है
ये घेरे तो सिर्फ स्वयं के ही
देता कौन यहां स्वर्गसम्राट !