एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
मेरी बेटी ”
आदर्शिनी देवडे़ के लिए चंद पंक्तियां”
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“परियों का रूप है बेटी,
पावन सी धूप है बेटी,
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी
हर ताप को जिसने सोखा है, वह है बेटी”
भोर का उजेरा है बेटी,
चिड़ियों का बसेरा है बेटी
पंछी की चहचहाट है बेटी
होठों की मुस्कुराहट है बेटी
चंदा की चांदनी है बेटी
सूरज की रोशनी है बेटी।
:राकेश देवडे़ बिरसावादी
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