एक ठंडी फिर चाहिए एक गरम लहर
एक ठंडी लहर
ठंड लगती है तो
फिर चाहिए एक गरम लहर
गर्मी लगती है तो
फिर चाहिए
एक ठंडी लहर
हर पल
एक नया स्पर्श
एक नई अनुभूति चाहिए
नहीं तो हो जाये
यह जीवन नीरस
एक बिना रस के
पेड़ की डाल पर
लटके
किसी सूखे फल की तरह।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001