एक झाड़ कांटों भरा
चेहरे पर
चेहरे
और फिर
हर चेहरे के
न जाने कितने रंग
यह सब करते करते
ऐ इंसान
तू होता नहीं तंग
तू कहीं से भी कोई फूल तो है नहीं कि
बहुत सारी कलियों और
पत्तियों के साथ
मुस्कुराता हुआ खिल गया
तू तो एक झाड़ है
कांटों भरा
जो भी तेरे समीप आया
उसी के दामन से
लिपट गया
उसके पांव में चुभ गया
तेरी तो हर अदा
नश्तर चुभाती है
तू कहां
एकांत की तलाश में
फिर दूर कहीं
तीर्थ यात्रा पर
निकल गया।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001