एक जिद मन में पाल रखी है,कि अपना नाम बनाना है
एक जिद मन में पाल रखी है,कि अपना नाम बनाना है
यूँही नही हूँ इस दुनिया मे,दुनिया को ये बताना है
तलाश में हूँ मंजिल की अपनी,राह पे तो निकल चुका हूँ
बहुत ठोकरे खायीं ,बहुत बार गिरा,पर अब संभल चुका हूँ
माना संभलने में थोड़ा वक्त लगा,वक्त रहते नहीं संभल पाया मैं
कोशिश बहुत की खुद को बदलने की,पर अफसोस बदल नहीं पाया मैं
पर अब जाग चुका हूँ खुद को पहचान चुका हूँ
नाम बनाना है , कामयाब होना है,ये जिंद मन में ठान चुका हूँ
तो अब मैं थकूँगा नही , मैं रुकुंगा नही,मैं डरूंगा नही , मैं झुकुंगा नही
अपना लक्ष्य हासिल करना है मुझे,उससे पहले मैं मरुंगा नहीं
जीतने की कोशिश में कई बार हारूंगा
यह जानता हूं मैं,पर हारने के बाद भी,हार कहां मानता हूं मैं
अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक हर दर्द , हर चोट सहूंगा
अपनी हार को जीत में बदलने तक मैं कोशिश करता रहूंगा