एक चुटकी सिन्दूर
एक खूबसूरत शाम,
जल्दी थी उसे काम निपटाने की।
मैंने पूछा क्यों हैं ख़ुशी रमेश बाबू,
आज तुम्हें घर जाने की।।
पलट कर मेरी ओर,
उसने मुस्कान दिखाई।
फिर बीवी के मायके जाने की,
खबर सुनाई ।।
मैंने पूछा क्या हैं,
इसमें खास।
कुछ दिनों में आ जाएगी ,
रहना फिर वापस उदास।।
वो बोला की,
ये मुस्कान तो रहेगी।
वो वापस भी आ जाये,
ख़ुशी फिर भी कम ना होगी।।
मैंने भी पूछा,
क्या हुआ कुछ तो बताओ।
हमें भी खुश रहने का,
तरीका बतलाओ।।
उसने कहा कल हो गयी,
थोड़ी कहासुनी बीवी से।
बोली वो मुझे की ,
यूँ जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकते ।।
फिल्मी डॉयलोग लेकर आ गयी बीच में,
अब मैं तुमसे क्या कहूं।
बोली वो की,
एक चुटकी सिन्दूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू।।
ईश्वर का आशीर्वाद होता हैं,
एक चुटकी सिन्दूर।
सुहागन के सर का ताज होता हैं,
एक चुटकी सिन्दूर।
हर औरत का ख्वाब होता हैं,
एक चुटकी सिन्दूर ।।
फिर रमेश बाबू ने बातो को विराम दिया,
तो मैंने कहा इससे तुम्हारी ख़ुशी का क्या मेल।
फिर क्या हुआ,
आगे तो बताओ पूरा खेल।।
वो बोला कुछ नहीं,
उसको चुप करा दिया।
सिन्दूर की कीमत पूरी चुकाकर,
बाकि का हिसाब मांग लिया ।।
मैंने कहा,
कौन जानेगा मुझसे बेहतर।
इस एक चुटकी सिन्दूर की कीमत ,
रमेश बाबू की बीवी ।।
तलवार की धार होता हैं,
ये एक चुटकी सिन्दूर ।
परिवार में ज़िन्दगी भर की तकरार होता हैं,
ये एक चुटकी सिन्दूर ।
पति के बालो की सफेदी का कारण होता हैं,
ये एक चुटकी सिन्दूर ।
लोगो को दिखने वाली झूठी मुस्कान होता हैं,
ये एक चुटकी सिन्दूर ।
बिना ज़हर की आत्महत्या होता हैं,
ये एक चुटकी सिन्दूर ।
दाल रोटी को भी छीन ले वो होता हैं,
ये एक चुटकी सिन्दूर ।
बिना नींद के काम करे वो बीमारी होता हैं,
ये एक चुटकी सिन्दूर ।
बोल हिसाब में कुछ बाकी हैं,
या और बताऊ कीमत इस एक चुटकी सिन्दूर की ।
बस तभी से बैठी हैं,
अपने मायके जाकर।
पर ससुरजी भी खुश हैं क्यूंकि,
उनकी वाली भी चली गयी उनसे कीमत पर बहस कर।।
अब तो,
तभी वापस आएगी।
जब कीमत के अलावा,
बाकि पैसे मय ब्याज लाएगी ।।
महेश कुमावत