एक गोपी की पुकार
#हाकलि_छंद
श्याम भवन मेरे आओ।
मन मेरा भी हर्षाओ।
कभी न मैं रूप बिसारूँ।
हरदम ही राह निहारूँ।
आँखों में नींद नहीं है।
ना दिल को चैन कहीं है।
सपनों में तो आते हो।
सारी रैन सताते हो।
सुध-बुध सबकुछ खोयी हूँ।
निशिदिन ही मैं रोयी हूँ।
बोलो कब तुम आओगे।
दिल की प्यास बुझाओगे।