एक ग़ज़ल
ग़ज़ल
दूर से दिखता नहीं तो पास देखो,
सह रहा हर आदमी वनवास देखो ।
झूठ को सम्मान मिलता है यहां पर,
न्याय का होता यहां उपहास देखो ।
कौन बोला है सुनो आवाज को तुम,
साहसों के टूटते अहसास देखो ।
इक नया अध्याय लिखने मैं चला हूं,
बैठकर तुम आज मेरे पास देखो ।
क्यों हमीं शिकवा करें हर बार बोलो,
सोच सारे शहर की है दास देखो ।
-श्रीभगवान बव्वा