एक ग़ज़ल
मेरी_एक_ग़ज़ल
पुष्प सी थी ज़िन्दगी अब खार सी है,
क्यूं दिलों के बीच में दीवार सी है ।
जा कहीं जाकर बसा ले आशियाना,
गांव में भी आजकल तकरार सी है ।
छोड़ देंगे सांस भी लेना कहो तुम,
बात तेरी हैं सुना हथियार सी हैं ।
जा चुका है कुछ भी कहने का जमाना,
कान में उनके सुना सरकार सी हैं ।
कीमतें हर शाम को ही घट गई है,
ज़िन्दगी भी अब सुना अखबार सी है ।
-श्रीभगवान बव्वा