एक ग़ज़ल
#डॉ_राहत_इंदौरी_साहब को समर्पित मेरी एक ग़ज़ल
सांस राहत की जरा लेकर कहूंगा,
मैं चमन में बन सदा खुशबू रहूंगा।
बाद मेरे देश के लोगों न रोना,
शायरी में मैं सदा जिंदा रहूंगा ।
बे – सहारा को सदा आवाज दूंगा,
मैं नहीं बारूद से भी अब डरूंगा ।
जब मजारों में दुआ जाकर करोगे,
शायरी फिर आपके मन की कहूंगा।
है बड़ा आराम इस मिट्टी तले भी,
आज से बस मैं इसी में ही रहूंगा ।
-श्रीभगवान बव्वा