– एक ख्वाहिश मेरे मन की –
– एक ख्वाहिश मेरे मन की –
मेने जिनका प्रस्ताव ठुकराया ,
वो मेरा लिया है यह फैसला सही कर जाए,
कवि हु मुझे जीवन की गाड़ी चलाने के लिए ,
कोई कवियत्री मिल जाए,
वंश वेल मेरी उससे मिलने पर बढ़ जाए,
जात, पात , ऊच नीच ना देखे मेरा मन, बस उसको अपनाए,
ना हो हसीना पर उच्च विचारो वाली कोई हसीन मिल जाए,
मेरी मति और गति को जो शुद्ध कर जाए,
परिवार में रहकर वो कुल का मान बढ़ाए,
करे माता – पिता की सेवा परिवार की लाडली बहु कहलाए,
बस एक यही ख्वाहिश मेरे मन की,
जो मेरे मन को हर्षित कर जाए ,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184-