एक ख़्याल ..” दिल से “
एक ख़्याल ..” दिल से ”
******************
जी भरके आज उनको ,
यूँ देख लिया आज ….
तरंगित हृदय में क्यूँ ,
बज उठे साज ….
सतरंगी सपनों में,
यूँ मच गयी हलचल ….
इन्द्रधनुषी कामनाएँ ,
क्यूँ हो गयी चंचल….
जिंदगी की धूप में ,
यूँ अब चाँदनी खिली …
मृगतृष्णा में झील बन ,
आज ही मिली …..
पहले हँसे दिल खोल ,
यूँ बड़े ही प्यार से …
होंठ शवनम थे कभी ,
क्यों हुए अँगार से ….
गूँजती अब वेदनाएँ
यूँ शब्द बन झँकार
सी ….
बात तेरी वही मेरी ,
क्यूँ नहीं थी प्यार
की …
=*=
कापीराइट ,
अरुण त्रिवेदी अनुपम