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22 Jun 2024 · 1 min read

एक कुण्डलियां छंद-

एक कुण्डलियां छंद-
रुपया-पैसा सब जगह,बिन पैसे नही कुछ।
पैसा गया त बूझ लो, बिगड़ा जग का रूप।।

बिगड़ा जग का रूप,जगत सम्मान न देता।
टेढ़ा मुह सब करें, घरो-परिवार-चहेता।।

‘प्यासा’ कर ले काम,न कोई इसके जैसा।।
होंगे तेरे पास, तभी तो रुपया-पैसा।।
-‘प्यासा’

Language: Hindi
51 Views

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