एक कहानी
आज बरसो बाद अपने शहर अपने गाँव जाने की खुशी ओर माँ से मिलने की उत्सुकता मे पता ही नही मेने अपनी माँ ओर छोटे भाई ओर चुटकी के लिए क्या क्या खरीद लिया । स्टेशन पर इंतज़ार करना कितना मुश्किल सा लग रहा है ओर कम्भख्त इस ट्रेन को भी आज के दिन ही लेट होना था ।चलो अब कर भी क्या सकते है इंतज़ार करना ही ठीक है । एक तो ये इंतज़ार करना हेना सबसे मुश्किल काम है ।मे ओर मेरी पत्नी विशका इतंज़ार के लम्हे काटने क लिए कुछ बाते करने लग गये । बाते करते करते वो मेरे गांव ओर पुरानी बातो को पूछने लग गयी जिन्हें मेने कुछ इतने सालो मे याद नि किया । पहले ही इतनी ज्यादा बोलती है ओर ऊपर से उसकी ये ज़िद ।चलो भैया सुनाओ अब ओर क्या भी क्या सकते है मेने मन ही मन कहा इस बहाने ट्रेन का भी time हो जायेगा । इतने विशाखा फिर बोल पड़ी अब बोलो गे भी या बोर ही करोंगे । विशाखा हम म 5 सदस्य है मै ओर मेरा छोटा भाई एक तलाक शुदा बड़ी बहन ओर माँ है ओर पिताजी को गुजरे आज पूरे 15 साल हो गये है जब से गाव से भागा हु भाग ही रहा हु कभी ज़िन्दगी से कभी खुद से । पिताजी गांव मे ही सरकारी teacher थे एक रात पिताजी से झगड़ा कर भाग गया ।बात इतनी भी बड़ी नही थी पर बातो का क्या है जितनी बड़ाओ बड जाती है । पिताजी थे भी गुस्से वाले ।ओर मे एक दम उनकी तरह उन्होंने गुस्से मे मुझे चाटा मर दिया ।ओर ख दिया अपने पर इतना ही गुरुर है तो खुद क दम पर कुछ करके दिखाओ । बस उसी रात मे अपनी ड़ग्रीया लेकर खाली हाथ निकल गया । ओर मा तो एक दम सीधी थी वो क्या करती पिताजी जो इतने सख्त थे । गांव से निकलने क बाद मे गांव से 200 km. दूर अपने एक दोस्त क पास चला गया । वही रहकर मोर्निंग मे news पपेर बटता ओर दिन भर interviwe क लिए दफ़्तर दफ़्तर चक्कर लगता । पर कोई आस हाथ नि लगी अपने ही दोस्त क घर पर रहकर मोहल्ले वालो के बच्चो को tustion देना स्टार्ट कर दिया । धीरे धीरे कोचिंग centro से भी टीचिंग क लिए कॉल आने लग गये । विशाखा बोली क्या तुमने फिर कभी गांव की तरफ नही देखा । मे बोला जब तक पिताजी थे तो सोच था की जब तक कुछ बन नही जाता जब तक गांव नही जाऊंगा । पर जब एक दोस्त क साथ खबर मिली के पिताजी नही रहे तब 8 साल बाद गाव गया था । तब मा से मालूम हुआ की मेरी बड़ी बहन की भी शादी हो चुकी है । उसके बाद आज तक नही गया । फिर शहर आगया इस भाग दौड़ वाली ज़िन्दगी मे एक शाम तुम मुझे मिली । ओर तुमसे रिश्ता बन गया फिर यही से गाव माँ से कभी कभी बात हो जाती है फिर उन्हें तुम्हरे बारे मे बताया । तुम्हारी हमेशा से ज़िद थी ना की मुझे अपने गांव ओर माँ से मिलाओ ना । पर मे पुरानी पिताजी की कही हुई बात को सोचकर पीछे हट जाता । पर आज खुद क पेरो पर खड़ा होकर आज तुम्हे अपने गांव दिखाने ले जा रहा हु । वो बोली तुमने अपनी माँ को अपने बारे मे बताया के नही । मे बोला नही क्यो…? इतने सलो मे पिताजी को मेरे न होने से कुछ फर्क नही पड़ा तो अब क्या फर्क पड़ जायेगा ओर हा तुम्हारे लिए एक ओर good news है । वो बोली क्या ।। मे बोला वो मे बाद मे बताऊंगा । पर अब वो कहा मानने वाली ज़िदि जो है । बात दिया की अब से अपने माँ ओर सब के साथ ही रहेंगे मे तुम्हे गांव घूमाने ओर माँ बहन ओर भाई को लाने जा रहे है । वो कुछ ओर बोलती इतने ट्रेन आगयी थी । ।।।।। बस इतनी सी थी ये कहानी…………!!!!