एक कहानी सुनाए बड़ी जोर से आई है।सुनोगे ना चलो सुन ही लो
एक कहानी सुनाए बड़ी जोर से आई है।सुनोगे ना चलो सुन ही लो
कहते है घर मे सबसे छोटा सबसे लाडला होता है सबसे ज्यादा मोहब्बत उसे ही मिलती हैं। मगर हर बार कहावत सही नहीं होती कभी कभी कहावत उल्टी भी हो जाती है एक ऐसे ही इंसान की कहानी है। जो हर बार तरसा मोहब्बत के लिए मोहब्बत मिली और शायद मिल भी रही मगर एक सही कीमत चुका कर बचपन से यही होता आया है बड़े सब अपने आप में बिजी रहते थे छोटे थे तो सबको नाच कर इंप्रेस करते अब एक डांस रोज रोज कोन देखने लगा तो फिर वही अकेलापन अरे ऐसा नहीं घर वाले पसंद नहीं करते मुझे करते है ना बहुत बस तू कर तू कर के हत्थे चढ़ गया मेरा बचपन एक दूसरे के हवाले करके सब अपनी मस्ती में खो गए अम्मा हमारी इतने बड़े घर की साफ सफाई रोटी शोटी ओर भैंसो का चारा बाकी बचे हुए टाइम मे बच्चो को सुनना गाने नही गालियां यार थका हुआ बंदा करेगा भी तो क्या पापा जी हमारे क्या सबके ही थोड़े टफ होते है डर सा लगता है कुछ कहने से कुछ मांगने से और सबसे छोटे हो तो बस खेल खत्म
मगर वो दिन बहुत खास था जब पापा ने पास बिठाकर शायद पहली बार बड़े प्यार से चूमा था मुझे गोद मे लिटाकर बड़ा प्यार किया था लगा था ये दिन कभी खत्म न हो बस ऐसे पापा की गोद मे उम्र तमाम हो जाए तब में पांचवी क्लास मे था इतनी समझ थी भी नहीं भी मगर वो दिन याद है मुझे क्योंकि फिर जिंदगी ने मौका नहीं दिया खुश होने का अपने बारे मे कुछ कहूं तो बस इतना ही
यू तो जिंदगी से कोई गिला नही मुझे
बस जो चाहा दिल से वो मिला नही मुझे 😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭