– एक कविता तुम्हारे नाम –
– एक कविता तुम्हारे नाम –
कोमल, निर्मल, निश्चल,
निस्वार्थ, सच्चे प्रेम का प्रतिमान,
पुष्प के कपोल सी,
चारो और फैले खुशबू जिसकी वो सरोज हो तुम,
लालिमा ऐसी ललाट की,
तेज से रोशन हो जाए अंधेरा,
प्रेम इतना करती थी मुझसे,
अपनो से लड़ जाती थी,
मुझको अपनाने के लिए ,
परिवार से भीड़ जाती थी,
आज हुआ जब में अकेला,
याद तेरी आने लगी,
की कदर नही की उस वक्त जो,
इस वक्त याद रुलाती है,
तेरे लिए में क्या लिखा प्रिये ,
तु मुझे हरपल याद आती रही,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान,