एक कतरा मोहब्बत
१
मुहब्बत बची नहीं नातों में,
बिकती सरे बाजार में,
इंसा भटक रहा दर-दर,
एक कतरा, तलाश में,
२
आग दिल में ऐसी लगी,
जलीं मोहब्बत, इंसानियत,
काश ! किसी ने फेंका होता,
एक कतरा, इलाज में,
मौलिक व स्वरचित
©® श्री रमण
बेगूसराय (बिहार)