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19 Oct 2017 · 1 min read

एक और दीवाली

एक और दीवाली
अब एक और दीवाली आ गई,
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी,
दीवाली का दिल से स्वागत है।

मुझे पता है मुझे दीवाली के स्वागत में,
क्या कुछ कर गुज़रना होगा।
बस कुछ ज्यादा नहीं,
थोड़ा सा बजट संतुलित करना होगा।।

या फिर यूँ समझो कि खुद को,
कर्ज के बोझ में दबाना होगा।
मगर कुछ भी हो जैसे भी हो,
घर में खुशियों को तो लाना होगा।।

हर साल की तरह इस साल भी,
दोस्तों से कुछ कर्ज़ लूंगा।
फिर अपनों को उस कर्ज़ से,
खुशियां खरीदकर दूंगा।।

अपने लिए सिर्फ ज़िम्मेदारियाँ समेटूंगा,
दिल से बस दुआ करूँगा।
मुखिया हूँ घर का लेकिन सेवक की तरह,
अपने फ़र्ज़ को पूरा करूँगा।।

एक मिडल क्लास का यही दर्द है,
इसी तरह घर गृहस्थी चलाना होगा।
महँगाई के इस दौर में बस,
यूँ ही दीवाली को मनाना होगा।
यूँ ही दीवाली को मनाना होगा।।

Language: Hindi
459 Views
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