#उम्मीदों का दामन
एक और ख्वाब तेरा,
टुट गया तो क्या हुआ ?
उम्मीदों का दामन अभी थामे रख।
यकीनन सटीक निकलेगा,
इसबार तीर कमान से तेरे।
अपने लक्ष्य की ओर निशाना साधे रख।
एक और ख्वाब तेरा,
टुट गया तो क्या हुआ ?
उम्मीदों का दामन अभी थामे रख।।
दर्द-विषाद् हर्ष और ये अवशाद,
जीवन के ये रंग हैं।
आते-जाते रहेंगें,
वक्त के साथ बदलते रहेंगे।
तू न बदल,
अपना इरादा न बदल।
उठ, हो जा खडा और मंजिल की ओर
कदम बढा।
उस वचन को निभा,
जिसे तुमने खुद से किया था।
दर्द का जखीरा तो पहले से था,
एक और दर्द जुड गया तो क्या हुआ।
एक और ख्वाब तेरा,
टुट गया तो क्या हुआ ?
उम्मीदों का दामन अभी थामे रख।।
कर्म कर,नर्म रह और धर्म पे चल।
चट्टान ये कितना भी कठोरतम क्यूँ न हो?
जाऐगा बर्फ की तरह पिघल।
जैसा तू चाहेगा वैसा ही होगा,
वक्त के साथ साथ चल।
अपनी रोशनी से प्रकाशमान करेगा तू जहाँ को।
हर अंधेरे को,अपनी प्रकाश से तू लेगा निगल।
एक और बार हार गया तो क्या हुआ,
निश्चय ही अगली जीत तेरी होगी।
ये बात हमेशा अपने जेहन में तू बाँधे रख।
एक और ख्वाब तेरा,
टुट गया तो क्या हुआ ?
उम्मीदों का दामन अभी थामे रख।।
Poet :- Nagendra Nath Mahto
18/June/2021
मौलिक व स्वरचित रचना।
स्वरचित कवि,गीतकार,संगीतकार व गायक:-Nagendra Nath Mahto.
Youtube:-n n mahto official
Copyright:-Nagendra Nath Mahto.