एक औरत
एक औरत
न जाने कितना कुछ सहते हुए
हंसते हुए, मुस्कुराते हुए,
बनाती है सब कुछ, बिगाड़ती कुछ नहीं
अपनी नाजुक अंगलियों से
सारा प्यार उढेलकर
बुन सकती जब एक स्वेटर तो
सोचने की बात है कि
अपने घर को कैसे कभी उजाड़ेगी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001