Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Oct 2021 · 4 min read

एक ऐसा भी करवा चौथ

सुबह जल्दी उठकर पुष्पा अपने दैनिक काम में लग गई । आज सोचा था कि दोपहर के पहले सब काम निपटकर थोड़ी देर आराम करेगी। दिनभर निर्जला निराहार व्रत जो रखना है उसे आज। हाँ! पिछले आठ साल हो गए है उसे यह व्रत करते हुए । आज सुहागिन महिलाओं का बड़ा कठिन लेकिन मन की गहराईयों से सच्चा श्रद्धा वाला व्रत होता है यह । जी हाँ! बिलकुल सही समझे आज “करवा चौथ” का व्रत है जिसे हर सुहागिन स्त्रियाँ रखने में अपना सौभाग्य समझती है । वैसे शहर में एकल परिवार में रह रही पुष्पा को कोई परेशानी नहीं है; वह अपने खुद के निर्णय अनुसार सब कार्य करती है; न कोई रोकटोक, न कोई झिकझिक । वश बच्चों को सँभालते-सँभालते उनके जिद्दीपन एवं नखरो ने थोड़ा चिडचिडा अवश्य बना दिया था । अपना गुस्सा किस पर उतारे! कभी बच्चों को चिल्लाती तो कभी मार का डर दिखाकर उन्हें शांत करती । वश इसी तरह रोज की दिनचर्या में कब सुबह से शाम हो जाती पता ही नहीं चलता ।
पुष्पा के पति कुमार जी का निजी कम्पनी में जॉब था । जिसके कारण कई दिनों तक काम के सिलसिले में घर से बहार रहना होता था; घर की सारी बागड़ोर पुष्पा के हाथो में थी । वह सारी जिम्मेदारी जैसे घर के एक मुखियाँ के रूप में संभालती थी। कुमार जी अभी दो दिन पहले ही अपने जॉब टूर पूरे बीस दिन बाद घर आये है । घर की सारी जिम्मेदारी को एक-एक कर गिनाने में 2 दिन गुजर गए पर अभी भी ऐसा लग रहा है कि बहुत कुछ कहने को है। इस तरह की बात! कोई बात न होकर, कई बार बाद-विवाद में बदल जाती थी । कुमार जी को भलीभांति पता था कि घर की जिम्मेदारी और बच्चों की देखभाल, उनकी पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा पुष्पा सँभालने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। इसके लिए उसे एक सम्मान एवं सराहना की जरुरत है जिसका वह हमेशा ख्याल रखते थे। काम की मन से तारीफ करना बाखूबी निभाते थे कुमार जी। पुष्पा के हर पसंद, नापसंद, जरुरत, प्यार, सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़ते थे; फिर भी पुष्पा को न जाने किस प्रसंशा की चाह थी वही जाने !
बच्चों के नाज-नखरे और दिन भर के व्यस्तम दिनचर्या से उसे खुद को पता नहीं चला कि उसका स्वाभाव चिडचिडा और झगडालू होता जा रहा है । हर काम को अपनी मर्जी से करना एवं छोटी-छोटी बात पर भी अपनी चलाना जैसे उसका स्वाभाव में शामिल हो गया था । इस कारण से कई बार कुमार जी से तूतू-मैंमैं भी हो जाती थी ।
कुमार जी को पता था कि आज पुष्पा ने करवा चौथ का व्रत रखी है। दिन भर निर्जला एवं निराहार! बड़ा कठिन व्रत होता है दिन भरका; उसे पता था कि आज उसके मन की नहीं हुई तो किसी न किसी बात पर मनमुटाव होना स्वाभाविक है, इसलिए आज कोई ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे कि यह स्थिति की नौवत ही न आये। इसलिए कुमार जी ने मन में एक योजना बने एवं पुष्पा को कहा- “आज तुम्हे दिन भर जैसा करना है उसे करो और मै जैसा करना चाहूँ वैसा करूँगा”, किसी को कोई रोकेगा टोकेगा नहीं! और हाँ- आज कोई बहुत जरुरी काम के वगैर बात भी नहीं करेगा। एक प्रकार से करवा चौथ के साथ मौन व्रत भी रखना है दोनों को! पुष्पा को बहुत बुरा लगा परन्तु मन मारकर रह गई और शर्त मान लिया।
“सोचने लगी निर्जला और निराहार रहना तो सरल है परन्तु बगैर बोले दिन कैसा कटेगा।”
सुबह से ही बिना बोले सब काम चल रहा था; बच्चों को नहला कर तैयार करके नास्ता देकर घर के अन्य काम में लग गई ।
कुमार जी ने आज अपना काम खुद पूरा किया; किसी भी चीज के लिए आज पुष्पा की मदद नहीं ली! इधर पुष्पा के मन में बड़ा भूचाल चल रहा था; वह बिना बोले ऐसा महसूस कर रही जैसे उसे किसी चीज की बहुत बड़ी सजा दे दी गई है, जिसमे वह खरा नहीं उतर पा रही थी । मन ही मन बुदबुदाती रही दिनभर !
शाम को खाना बनाकर पूजा के लिए तैयार होना था कि कुमार जी ने रायपुर से लाई महरूम रंग की साडी देते हुए बोला- ये साड़ी पहनना आज! बहुत सुन्दर लगोगी । साडी देखते ही दिनभर का गुस्सा जैसा रफू चक्कर हो गया और चेहरे में एक हलकी सी मुस्कान के साथ दोनों का मौन व्रत टूटा। बहुत देर तक श्रंगार करने के बाद पुष्पा कमरे से निकली, जैसे चाँद स्वयं धरती पर उतर आया हो !
कुमार जी बहुत देर से बेसब्री से इन्तजार कर रहे थे कि जल्द पूजा किया जाये, आसमान में चाँद निकल आया था ।
पुष्पा और कुमार जी पूजा करने छत पर चले गए । पुष्पा ने चाँद की पूजा की, चाँद को अर्द्ध देकर कुमार जी को छलनी से चेहरा देखकर व्रत पूरा किया एवं कुमार जी के हाथो खीर खाकर करवा चौथ व्रत तोडा। सचमुच में आज दोनों को आसमान का चाँद इस घर के चाँद से फीका दिख रहा था । वास्तव आज करवा चौथ की पूजा सफल रही। घर में आकर दोनों ने साथ में भोजन किया एवं दिन भर की बातों को याद करके खूब हँसा । दोनों ने अपने आप को आत्मसात किया कि कभी-कभी मौन व्रत भी बड़ी खुशियाँ दे जाता है। मौन व्रत अपने आप में एक पूर्ण पूजा है जो एक बड़ा वरदान जैसा फल दे जाता है।

लेखक
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता, छिंदवाड़ा (म.प्र.)
मोबाइल 9893573770

Language: Hindi
392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कह्र ....
कह्र ....
sushil sarna
सबसे क़ीमती क्या है....
सबसे क़ीमती क्या है....
Vivek Mishra
" क़ैद में ज़िन्दगी "
Chunnu Lal Gupta
■ दोनों पहलू जीवन के।
■ दोनों पहलू जीवन के।
*Author प्रणय प्रभात*
"निरक्षर-भारती"
Prabhudayal Raniwal
" खुशी में डूब जाते हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
"The Divine Encounter"
Manisha Manjari
जीवन में ईमानदारी, सहजता और सकारात्मक विचार कभीं मत छोड़िए य
जीवन में ईमानदारी, सहजता और सकारात्मक विचार कभीं मत छोड़िए य
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
Pratibha Pandey
अबके तीजा पोरा
अबके तीजा पोरा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कितनी बार शर्मिंदा हुआ जाए,
कितनी बार शर्मिंदा हुआ जाए,
ओनिका सेतिया 'अनु '
"फूलों की तरह जीना है"
पंकज कुमार कर्ण
मतदान
मतदान
Sanjay ' शून्य'
जिंदगी में हर पल खुशियों की सौगात रहे।
जिंदगी में हर पल खुशियों की सौगात रहे।
Phool gufran
*चिड़ियों को जल दाना डाल रहा है वो*
*चिड़ियों को जल दाना डाल रहा है वो*
sudhir kumar
जीवन तेरी नयी धुन
जीवन तेरी नयी धुन
कार्तिक नितिन शर्मा
मुझको मेरा हिसाब देना है
मुझको मेरा हिसाब देना है
Dr fauzia Naseem shad
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
शेखर सिंह
पुस्तक समीक्षा -राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
पुस्तक समीक्षा -राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शुक्रिया जिंदगी!
शुक्रिया जिंदगी!
Madhavi Srivastava
परिवर्तन
परिवर्तन
विनोद सिल्ला
Sometimes…
Sometimes…
पूर्वार्थ
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
2527.पूर्णिका
2527.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आग और धुआं
आग और धुआं
Ritu Asooja
*अमूल्य निधि का मूल्य (हास्य व्यंग्य)*
*अमूल्य निधि का मूल्य (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
इंडियन टाइम
इंडियन टाइम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
किसी भी काम में आपको मुश्किल तब लगती है जब आप किसी समस्या का
किसी भी काम में आपको मुश्किल तब लगती है जब आप किसी समस्या का
Rj Anand Prajapati
पतझड़ की कैद में हूं जरा मौसम बदलने दो
पतझड़ की कैद में हूं जरा मौसम बदलने दो
Ram Krishan Rastogi
★बरसात की टपकती बूंद ★
★बरसात की टपकती बूंद ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
Loading...