एक इंसान ने एक परिंदे से
मै इन्हें कैदी बनाने का
विरोधी हूं मगर
परिंदों को भी अपनी हद में उड़ना चाहिए
अपना पर देखना चाहिए
आसमान की गहराई
देखनी चाहिए
पर्वतों की उंचाई देखनी चाहिए
सिसकारियां की नजर
देखनी चाहिए
हरा भरा कोई सजर
देखना चाहिए
मौसम कि मार देखनी चाहिए
और बिजली का तार देखना चाहिए
क्योंकि हमें तुम्हारे रहने न रहने से
रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता है
एक इंसान ने एक परिंदे से
साफ साफ कह दिया है