Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Dec 2021 · 1 min read

एक अहसास

एक अहसास●●●●●●
★माँ के साथ★

बुन जीवन के ताने बाने
आशा स्वप्न सजीली है।
जीवन अर्पित कर हुई विदा,
ये दुनियाँ रँग रंगीली है।

1 तिनका तिनका जोड़ बनाया,
एक घोंसला चिड़िया ने।
सुख स्वप्नों इसे सजाया,
एक घोंसला गुड़िया ने।
चिड़बे संग फिर ब्याह रचाया,
दुल्हन बन शर्मीली है।
जीवन अर्पित…….

2 सुख साधन सम्पन्न सम्पन्न हुई,
वह बंध मर्यादा बंधन में।
मिला नहीं किस्मत से ज्यादा,
कभी किसी को जीवन में।
आस -निराश चक्र जीवन के,
रहती यही पहेली है।
जीवन अर्पित………

3 ममता से निज स्नेह लुटाकर,
बनी प्यार क। परिभाषा।
साथी संग सहारे छूटे,
चली सजन संग,कर श्रंगार
छबीली है।
जीवन अर्पित……….

प्रवीणा त्रिवेदी “प्रज्ञा”
नई दिल्ली 74

Language: Hindi
Tag: गीत
284 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
Bhupendra Rawat
प्रतिस्पर्धाओं के इस युग में सुकून !!
प्रतिस्पर्धाओं के इस युग में सुकून !!
Rachana
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
Dr. Mulla Adam Ali
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
Dushyant Kumar
मूल्य मंत्र
मूल्य मंत्र
ओंकार मिश्र
समय को समय देकर तो देखो, एक दिन सवालों के जवाब ये लाएगा,
समय को समय देकर तो देखो, एक दिन सवालों के जवाब ये लाएगा,
Manisha Manjari
..
..
*प्रणय प्रभात*
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
Taj Mohammad
गुलाब के काॅंटे
गुलाब के काॅंटे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
हर काम की कोई-ना-कोई वज़ह होती है...
हर काम की कोई-ना-कोई वज़ह होती है...
Ajit Kumar "Karn"
सुनसान कब्रिस्तान को आकर जगाया आपने
सुनसान कब्रिस्तान को आकर जगाया आपने
VINOD CHAUHAN
बड़ी अदा से बसा है शहर बनारस का
बड़ी अदा से बसा है शहर बनारस का
Shweta Soni
*श्रीराम*
*श्रीराम*
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
तुम बिन रहें तो कैसे यहां लौट आओ तुम।
तुम बिन रहें तो कैसे यहां लौट आओ तुम।
सत्य कुमार प्रेमी
"ये गणित है भ्राते"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्यं शिवम सुंदरम!!
सत्यं शिवम सुंदरम!!
ओनिका सेतिया 'अनु '
हर गली में ये मयकदा क्यों है
हर गली में ये मयकदा क्यों है
प्रीतम श्रावस्तवी
3943.💐 *पूर्णिका* 💐
3943.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अक्सर यूं कहते हैं लोग
अक्सर यूं कहते हैं लोग
Harminder Kaur
#मैथिली_हाइकु
#मैथिली_हाइकु
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*डॉ अर्चना गुप्ता जी* , मुरादाबाद(कुंडलिया)*
*डॉ अर्चना गुप्ता जी* , मुरादाबाद(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
गुमनाम 'बाबा'
बड़े बच्चों का नाम स्कूल में लिखवाना है
बड़े बच्चों का नाम स्कूल में लिखवाना है
gurudeenverma198
तीन बुंदेली दोहा- #किवरिया / #किवरियाँ
तीन बुंदेली दोहा- #किवरिया / #किवरियाँ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आइसक्रीम के बहाने
आइसक्रीम के बहाने
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जीवन ज्योति
जीवन ज्योति
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कविता तुम से
कविता तुम से
Awadhesh Singh
मोहल्ला की चीनी
मोहल्ला की चीनी
Suryakant Dwivedi
Loading...