एक अदद दोस्त की आरज़ू
काश ! हमारा भी कोई अदद दोस्त होता,
हमारी जिंदगी में कोई कोफ्त ना होता ।
मिलकर बैठते घंटो और गुफ्तगू करते ,
वक्त का भी फिर कोई पहरा न होता ।
कुछ उसकी सुनते ,कुछ अपनी कहते ,
नए रंग में मुलाकातों का आगाज होता ।
अपने दिल का हाल जिससे कह सके ,
ऐसा कोई हमदम औ हमराज वो होता ।
होते कभी जब परेशान हाल जिंदगी में,
उसे कह देने भर से ही जी हल्का होता ।
हमारे अंदर के खौफ और संकोच को ,
पल में दूर कर देने वाला मसीहा होता।
हमारी खामियों/खूबियों को कबूल कर,
रिश्तों की भीड़ में अदद रिश्ता होता।
हमारे अरमानों के पंखों को हवा देकर ,
नया आसमां देने वाला फरिश्ता होता।
हमारे भीतर की काबिलियत/ हुनर को ,
एक नजर में पहचाने जो वो पारखी होता।
हमें सही राह दिखाए,उन्हें रोशन करे जो,
बल्कि हमकदम बने जो वो हमराही होता।
खुदा का दिया सबकुछ है हमारे पास ,
बस दोस्त नहीं वो होता तो अच्छा होता।
एक अदद दोस्त के बिना जिंदगी बेजार है,
खुदाया ! काश”अनु” का भी कोई दोस्त होता।